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आर्थिक समृद्धि और सफलता का एक ही मंत्र श्री सूक्तं पाठ

आर्थिक समृद्धि और सफलता का एक ही मंत्र श्री सूक्तं पाठ

श्री सूक्तम एक महत्वपूर्ण हिंदू मंत्र है जो देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए प्रयोग किया जाता है। यह ऋग्वेद के पांचवें मंडल में वर्णित है और इसमें 15 ऋचाएँ (मंत्र) हैं, जिनके पाठ से माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्री सूक्तम के लाभ:

  • धन और समृद्धि: श्री सूक्तम का पाठ करने से धन, समृद्धि और व्यापार में वृद्धि होती है।
  • ऋण से मुक्ति: यह मंत्र ऋण से मुक्ति दिलाने में भी मदद करता है।
  • वैभव और आनंद: श्री सूक्तम का पाठ करने से वैभव और आनंद की प्राप्ति होती है।

श्री सूक्तम का पाठ करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती है¹

श्री सूक्तम हिन्दी

ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥1॥

अर्थ -> हे जातवेदा (सर्वज्ञ) अग्निदेव ! आप मेरे लिये सुवर्ण के रंग वाली, सोने और चाँदी के माला धारण करने वाली, चन्द्रमा के समान प्रसन्नकांति, स्वर्णमयी लक्ष्मीदेवी को आवाहन और अभिमुख करें।

तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥2॥

अर्थ -> हे जातवेदा अग्निदेव ! आप उन जगत प्रसिद्ध लक्ष्मीदेवी को मेरे लिये आवाहन करें जिनके आगमन से मैं सुवर्ण, गौ, अश्व और पुत्रादि को प्राप्त करूँगा।

अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रमोदिनीम् । श्रियं देवीमुप ह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥3॥

अर्थ -> जिस देवी के आगे घोड़े तथा उनके मध्य में रथ जुते रहते हैं तथा ऐसे रथ में बैठी हुई जो हथियो की निनाद को सुनकर प्रमुदित होती हैं, उन्हीं श्रीदेवी का मैं आवाहन करता हूँ; लक्ष्मीदेवी मुझे प्राप्त हों।

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रा ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्। पद्मस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥4॥

अर्थ -> जिसका स्वरूप ब्रह्मरूपा होने के कारण अवर्णनीय है तथा जो मंद मंद मुसकराने वाली है, जो चारों ओर सोने के आवरण से ओत प्रोत है एवं दया से आद्र हृदय वाली तेजोमयी हैं, स्वयं पूर्णकाम होने के कारण भक्तो के मनोरथों को पूर्ण करने वाली हैं, कमल के ऊपर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, मैं उन लक्ष्मीदेवी का आवाहन करता हूँ।

चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम्। तां पद्मिनीमीं शरणं प्र पद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे ॥5॥

अर्थ -> मैं चंद्रमा के समान प्रकाश वाली प्रकृत कान्तिवाली, अपनी कीर्ति से देदीप्यमान, स्वर्ग लोक में इन्द्रादि देवों से पूजित अत्यंत दानशीला, कमल के मध्य रहने वाली एवं अश्रयदाती की शरण ग्रहण करता हूँ। उन लक्ष्मी को मैं प्राप्त करता हूँ और आपको शरण्य के रूप में वरण करता हूँ। 

आदित्यवर्णे तपसोऽधि जातो वनस्पतिस्तव वृक्षोऽथ बिल्वः । तस्य फलानि तपसा नुदन्तु या अन्तरा याश्च बाह्या अलक्ष्मीः ॥6॥

अर्थ -> हे सूर्य के समान कांति वाली देवी आपके तेजोमय प्रकाश से वृक्षों में श्रेष्ठ मंगलमय बिल्ववृक्ष उत्पन्न हुआ। उस बिल्व वृक्ष का फल मेरे बाहरी और भीतरी दरिद्रता को दूर करें।

उपैतु मां देवसखः कीर्तिश्च मणिना सह। प्रादुर्भूतोऽस्मि राष्ट्रेऽस्मिन्की र्तिमृद्धिं ददातु मे ॥7॥

अर्थ -> हे लक्ष्मी ! मुझे उत्तम यश, रत्न, धन आदि के साथ देवताओं के सखा कुबेर और उनके मित्र मणिभद्र प्राप्त हों अर्थात मुझे धन और यश की प्राप्ति हो। मैं इस राष्ट्र (संसार) में जन्म लिया है, अतः हे लक्ष्मी आप मुझे इसके गौरव के अनुरूप यश, समृद्धि और एश्वर्य प्रदान करें।

क्षुत्पिपासामलां ज्येष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्। अभूतिमसमृद्धिं च सर्वां निर्गुद मे गृहात् ॥8॥

अर्थ -> मैं भूख प्यास आदि शारीरिक मलिनता को धारण करने वाली एवं लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी (दरिद्रता) का सदा के लिए विनाश करता हूं। हे लक्ष्मी! तुम मेरे घर से सभी प्रकार की असमृद्धि, दुःख, अनैश्वर्य और अभाव को दूर भगाओ।

गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्। ईश्वरीं सर्वभूतानां तामिहोप ह्वये श्रियम् ॥9॥

अर्थ -> मैं सुगंधित द्रव्यों के अर्पण से प्रसन्न करने योग्य, किसी भी शक्तिशाली से न जीतने योग्य, सदा धन धान्यादि देकर अपने शरणागत भक्तों की इच्छा पूर्ण करनेवाली और संसार के समस्त प्राणियों की शासिका- स्वामिनी लक्ष्मी देवी को अपने यहां आवाहन करता हूं।

मनसः काममाकूतिं वाचः सत्यमशीमहि। पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्रीः श्रयतां यशः ॥10॥

अर्थ -> हे लक्ष्मी ! मुझे मन की कामनाओं एवं संकल्प सिद्धि, वाणी की सत्यता, गौ आदि पशुओ एवं अन्नों के रूप सभी पदार्थ प्राप्त हो। सम्पति और यश आश्रय ले अर्थात श्रीदेवी हमारे यहाँ आगमन करें।

कर्दमेन प्रजा भूता मयि सम्भव कर्दम । श्रियं वासय मे कुले मातरं पद्ममालिनीम् ॥11॥

अर्थ -> लक्ष्मी के पुत्र कर्दम की हम संतान हैं। हे कर्दम ! मेरे घर में लक्ष्मी निवास करें, केवल इतनी ही प्रार्थना नहीं है अपितु कमल की माला धारण करने वाली संपूर्ण संसार की माता लक्ष्मी को मेरे कुल में प्रतिष्ठित करें।

आपः सृजन्तु स्निग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे। नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले ॥12॥

अर्थ -> जिस प्रकार वरुणदेव स्निग्ध द्रव्यों को उत्पन्न करते है (जिस प्रकार जल से स्निग्धता आती है), उसी प्रकार, हे लक्ष्मीपुत्र चिक्लीत! आप मेरे घर में निवास करें और दिव्यगुणयुक्ता श्रेयमान माता लक्ष्मी को मेरे कुल में निवास करायें।

आर्द्रा पुष्करिणीं पुष्टिं पिङ्गलां पद्ममालिनीम्। चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥13॥

अर्थ -> हे अग्निदेव, आप मेरे लिए हाथियों के शुण्डाग्र से अभिषिक्त अतएव आर्द्र शरीर वाली, कमल- पुष्करिणी, पुष्टिकारिणी, पीतवर्णा, कमल की माला धारण करने वाली, चन्द्रमा के समान स्वर्णिम आभा वाली लक्ष्मी देवी का आवाहन करें ।

आर्द्रा यः करिणीं यष्टिं सुवर्णां हेममालिनीम्। सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आ वह ॥14॥

अर्थ -> हे अग्निदेव ! जो दुष्टों का निग्रह करने वाली होने पर भी दयाभाव से आर्द्रचित्त हैं, जो मंगलदायिनी, अवलम्बन प्रदान करने वाली यष्टिरूपा हैं, सुन्दर वर्णवाली, सुवर्णमालाधारिणी, सूर्यस्वरूपा तथा हिरण्यमयी हैं, उन प्रकाशस्वरूपा लक्ष्मी का मेरे लिए आवाहन करें।

तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्। यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ॥15॥

अर्थ -> हे अग्निदेव ! कभी नष्ट न होने वाली उन स्थिर लक्ष्मी का मेरे लिए आवाहन करें जो मुझे छोड़कर अन्यत्र नहीं जाने वाली हों, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, उत्तम ऐश्वर्य, गौएं, दासियां, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें।

॥ फलश्रुति ॥

यः शुचिः प्रयतो भूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्। सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकामः सततं जपेत् ॥16॥

अर्थ -> जो नित्य पवित्र और संयमशील होकर इस पंचदश (15) ऋचा वाले सूक्त से भक्तिपूर्वक घी की आहुति देता है और इसका पाठ (जप) करता है, उसकी श्री लक्ष्मी की कामना पूर्ण होती है।

दिव्य साधना भक्ति संगीत – आत्मा की आवाज़ भक्ति संगीत केवल सुरों का संगम नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच एक दिव्य संवाद है। "दिव्य साधना भक्ति संगीत" इसी संवाद का माध्यम बनता है, जो मन, मस्तिष्क और आत्मा को एक शांति व आनंद की अनुभूति प्रदान करता है। यह संगीत किसी धर्म या जाति से परे, केवल भक्ति की भावना को उजागर करता है। दिव्यता और साधना का संगम "दिव्य साधना" का अर्थ है ऐसी आध्यात्मिक साधना जो हृदय को निर्मल कर दे। जब यह साधना संगीत के माध्यम से व्यक्त होती है, तो यह और भी प्रभावशाली बन जाती है। भक्ति संगीत की यह शैली हमें मंदिरों, तीर्थस्थलों, या एकांत साधना स्थलों का अनुभव देती है – चाहे हम कहीं भी हों। भक्ति संगीत का प्रभाव मानसिक तनाव को कम करता है ध्यान और साधना में सहायक होता है आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है सकारात्मक विचारों को जन्म देता है हमारा उद्देश्य हमारा प्रयास है कि दिव्य साधना भक्ति संगीत के माध्यम से हर श्रोता को उस आंतरिक शांति का अनुभव कराया जाए, जिसकी तलाश हर आत्मा करती है। चाहे वह कृष्ण भजन हो, शिव तांडव, या माँ दुर्गा की स्तुति – हर सुर, हर शब्द आपको दिव्यता की ओर ले जाएगा। आइए, इस यात्रा का हिस्सा बनिए यदि आप भी भक्ति संगीत से जुड़कर अपनी साधना को सशक्त बनाना चाहते हैं, तो हमारे साथ जुड़िए। हर दिन नए भजनों, कीर्तनों और मंत्रों के माध्यम से हम आपकी आत्मा को छूने वाले संगीत की अनुभूति दिलाते रहेंगे। Divya Sadhna Bhakti Sangeet – Voice of the Soul Devotional music is not just a confluence of notes, but a divine dialogue between the soul and the Almighty. "Divya Sadhna Bhakti Sangeet" becomes the medium of this dialogue, which provides a feeling of peace and joy to the mind, brain and soul. This music highlights only the feeling of devotion, beyond any religion or caste. A confluence of divinity and sadhana "Divya Sadhna" means such spiritual sadhana that purifies the heart. When this sadhana is expressed through music, it becomes even more effective. This style of devotional music gives us the experience of temples, pilgrimage sites, or secluded sadhana places – wherever we are. Effect of Bhakti Sangeet Reduces mental stress Helps in meditation and sadhana Transmits spiritual energy Gives birth to positive thoughts Our aim Our endeavor is to make every listener experience the inner peace that every soul seeks through Divya Sadhna Bhakti Sangeet. Be it Krishna Bhajans, Shiv Tandava, or Maa Durga ki Stuti – every note, every word will take you towards divinity. Come, be a part of this journey If you too want to strengthen your sadhana by connecting with devotional music, then join us. Through new bhajans, kirtans and mantras every day, we will continue to make you experience music that touches your soul.

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