गुरु सम्बन्धी अन्य विशेष उपाय व टोटके
गुरु सम्बन्धी अन्य विशेष उपाय व टोटके

1. 21 गुरुवार तक बिना क्रम तोड़े हर गुरुवार का व्रत रखकर भगवान विष्णु के मन्दिर में पूजा करके एक किलो या यधाशक्ति बूंदी के लड्डू चढ़ाकर प्रसाद बच्चों में बांट देना। लड़की या लड़के के विवाह आदि सुख के सम्बन्ध में पड़ने वाली रुकावटें दूर होंगी। मंन्दिर से लाल चन्दन या केशर का तिलक भी पण्डित जी से मन्त्रपूर्वक लगवाना शुभ होगा।
2. भगवान् विष्णु के मन्दिर में शुक्ल पक्ष से शुरू करके 27 गुरुवार तक, प्रत्येक गुरुवार चमेली या कमल का फूल तथा कम से कम पांच केले चढ़ाने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी।
3. वीरवार के दिन गुरु की होरा में बिना सिलाई हुए पीले रेशमी रूमाल में हरिद्रा (हल्दी) की गांठ या केले की मूल को बांधकर गों, फिर गुरु के बीज मंत्र (ॐ ऐं क्लीम बृहस्पतये नमः) की तीन माला पढ़कर गंगा जल के छींटे लगा कर पुरुष दाहिनी भुजा तथा स्त्री बाई भुजा पर पीली डोरी से बंधवा लेने से बृहस्पतिकृत अशुभ फल की शान्ति होगी।
4. गुरुपुष्य योग में, गुरु पूर्णिमा के दिन, बसन्त पंचमी, अक्षय तृतीया एवं अपने जन्मदिन के अवसर पर धर्मस्थान में श्री शिवमहापुराण, भागवत पुराण, विष्णु पुराण, रामायण, गीता, सुंदर-गुटका, श्री दुर्गासप्तशती इत्यादि धार्मिक ग्रन्थ का सुपात्र व्यक्ति को दान करना शुभ होगा।
5. प्रत्येक गुरुवार को रात की भिगोई हुई चने की दाल को पीसकर आटा, शक्कर सहित चपातियां बनाकर गौओं को लगातार 21 गुरुवार खिलाना विवाहादि शुभकार्यों में अड़चनों की शान्ति हेतु शुभ होगा। किसी कारणवश गाय न मिल सके तो 21 गुरुवार तक ब्राह्मण-दम्पत्ति को खीर सहित भोजन करवाना शुभ होगा।
6. जन्मकुण्डली में यदि गुरु उच्चविद्या, विवाह, सन्तान-धन आदि पारिवारिक सुखों में बाधाकारक हो तो जातक मांस, मछली, शराबादि तामसिक भोजन से परहेज रखना चाहिए। अपना चाल-चलन भी शुद्ध रखें।
7. कन्याओं के विवाहादि परिवारिक बाधाओं की निवृत्ति के लिए श्री सत्यनारायण अथवा वीरवार के 21 व्रत रखकर मन्दिर में आटा, गुड़, चने की दाल, पीला रूमाल, फल (केले आदि), लड्डू आदि चढ़ाने के पश्चात् केले के वृक्ष का पूजन करके मौली लपेटते हुए 7 परिक्रमा करनी चाहिए।
8. यदि पंचम भाव अथवा पुत्र संतान के लिए गुरु बाधाकारक हो तो हरिवंशपुराण एवं श्री गोपालसहस्रणाम का पाठ करना चाहिए।
9. गुरु कृत अरिष्ट एवं रोग शांति के लिए प्रत्येक सोमवार और वीरवार को श्री शिवसहस्रणाम का पाठ करने के बाद कच्ची लस्सी, चावल, चीनी (शक्कर) आदि डालकर शिवलिङ्ग का अभिषेक करना चाहिए।
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