नफरत की लाठी तोड़ो
स्थाई :-
नफरत की लाठी तोड़ो, लालच का खंजर फेंको, जिद के पीछे मत दौड़ो
तुम प्रेम के पंछी हो देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रमियों
अन्तरा :-
1 ) देखो ये धरती हम सबकी माता है, सोचो आपस में क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन संभालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा, दीवानो होश करो
2 ) मीठे पानी में ये जहर न तुम घोला, जब भी कुछ बोलो, ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव, जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता जो बना हो कड़वी बोली से, दो मीठे बोल कहो
3 ) तोड़ो दीवारें ये चार दिशाओं की, रोको मत राहें, इन मस्त हवाओं की
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण वालो मेरा मतलब है
पूछो इस माटी से, क्या भाषा क्या इसका मजहब है, फिर मुझसे बात करो