मेरे देश की धरती
स्थाई :-
मेरे देश की धरती-2 सोना उगले-उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती, ओ…ओ…ओ..ओ..ओ…
अन्तरा :-
1 ) बैलों के गले में जब घुंघरू, जीवन का राग सुनाते हैं
गम कोसों दूर हो जाता है, खुशियों के कमल मुस्काते हैं
सुनके रहट की आवाजें -2, यूं लगे कहीं शहनाई बजे आते ही मस्त बहारों के, दुल्हन की तरह हर खेत सजे, मेरे देश
2 ) जब चलते हैं इस धरती पे हल, ममता अंगडाईयां लेती है
क्यूं ना पूजें इस माटी की, जो जीवन का सुख देती है इस धरती पे जिसने जन्म लिया, उसने ही पाया प्यार तेरा
यहां अपना पराया कोई नहीं है-2, सबपे माँ उपकार तेरा,
मेरे देश…
3 ) ये बाग है गौतम नानक का, खिलते हैं अमन के फूल यहां
गाँधी, सुभाष-2, टैगोर, तिलक ऐसे हैं चमन के फूल यहां
रंग हरा हरी सिंह नलवे से, रंग लाल है लाल बहादुर से रंग बना बसंती भगतसिंह, रंग अमन का वीर जवाहर से,
मेरे देश…