लंका में बज गया रे , डंका श्री राम का
( तर्ज :- अज काला जोडा पा साड्डी फरमाईस ते )
स्थाई :-
में माँ अंजनी का लाला , श्री राम भक्त मतवाला…….2
मेरा सोटा चल गया रे , बजा डंका राम का
लंका में बज गया रे , डंका श्री राम का
अन्तरा :-
1 ) में राम दूत बन आया , सीता का पता लगाया
तू अहंकार में अंधा , तू ने अपना रौब जमाया
बाहर अन्दर से काला , करता रहा गड बड़ झाला
मेरा सोटा चल गया रे , बजा डंका राम का ……..2
2 ) मुझे जोर से भूख लगी थी , सोचा थोड़े फल खालू
ये सोच के पेड़ चढ़ा था , इस पेड़ की आग बुझालू
किया जम्बू ने घोटाला , मेरे हाथ से छीना निवाला
मेरा सोटा चल गया रे , बजा डंका राम का ……..2
3 ) मैंने अक्षय को है मारा , आ मेघनाथ ललकारा
जब एक चली ना उसकी , ब्रह्मास्त्र मुझ पे डारा
ब्रह्मा का मान रख डाला , में बंध गया बजरंग बाला
मेरा सोटा चल गया रे , बजा डंका राम का ……..2
4 ) फिर तू गुस्से में आया , और मुझे खूब धमकाया
मेरी पूँछ में आग लगाई , ना ज्यादा समय गवाया
वहाँ भड़की ऐसी ज्वाला , लंका का हुआ दिवाला
मेरा सोटा चल गया रे , बजा डंका राम का ……..2
5 ) कहे भूलन लंक जलाई , तेरी अकल में कुछ ना आई
लंका विध्वंस करके , अब लेट गया अनुयाई
ना जपी राम की माला , हो गया कुटुम्ब का गाला
मेरा सोटा चल गया रे , बजा डंका राम का ……..2
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