शुक्र शान्ति स्तोत्र: जीवन में प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति
शुक्र शान्ति स्तोत्र करने के लाभ
- “शुक्र शान्ति के लिए प्रभावी स्तोत्र पाठ”
- “शुक्र देव की कृपा पाने के लिए स्तोत्र पाठ”
- “शुक्र ग्रह की शांति के लिए शक्तिशाली स्तोत्र”
- “शुक्र शान्ति स्तोत्र पाठ: जीवन में सुख और समृद्धि की कुंजी”
- “शुक्र देव को प्रसन्न करने के लिए स्तोत्र पाठ”
- “शुक्र शान्ति के लिए मंत्र और स्तोत्र का महत्व”
- “शुक्र ग्रह की नकारात्मकता दूर करने के लिए स्तोत्र पाठ”
- “शुक्र शान्ति स्तोत्र: जीवन में प्रेम और सौंदर्य की प्राप्ति”
- “शुक्र देव की पूजा और स्तोत्र पाठ का महत्व”
- “शुक्र शान्ति के लिए स्तोत्र पाठ और उसके लाभ”

स्तोत्र पाठ से पहले पूर्व दिशा में शुक्र देव की चतुष्कोण-आकृति बनाकर उसकी श्वेत पुष्प व श्वेत अक्षत, फल आदि सहित पंचोपचार पूजन व ध्यान करके, स्वयं भी श्वेत तिलक धारण करें तथा संकल्पपूर्वक दैत्यगुरु शुक्र का स्तोत्र पाठ करना चाहिए। पाठोपरांत मन्दिर में बर्फी, श्वेत वस्त्र, फलों आदि का दान दक्षिणा सहित करना चाहिए।
ध्यान मंत्र – श्वेताम्बरः श्वेत वपुः किरीटी चतुर्भुजो दैत्यगुरु प्रशान्तः । तथाक्षसूत्रं च कमण्डलुं च दण्डं च बिभ्रद् वरदोऽस्तु मह्यम् ।।
(क) श्री शुक्र स्तोत्रम्
विनियोग – ॐ अस्य श्री शुक्र स्तोत्रस्य भरद्वाज ऋषिः, गायत्री छन्दः, श्रीशुक्रः देवता, श्रीशुक्र-पीड़ा-परिहारार्थे विनियोगः ।
शुक्रः काव्यः शुक्र रेता शुक्लाम्बरधरः सुधीः ।
हिमाभः कुन्दधवलः शुभ्रांशुः शुक्लभूषणः ।।
नीतिज्ञो नीतिकृन्नीति मार्गगामी ग्रहाधिपः ।
उशना वेद वेदाङ्ग पारगः कविरात्म-वित् ॥
भार्गवः करुणा सिन्धुर्ज्ञान गम्यः सुतप्रदः ।
शुक्रस्यैतानि नामानि शुक्रं स्मृत्वा तु यः पठेत् ।
आयुर्धनं सुखं पुत्रं लक्ष्मीं वसतिमुत्तमाम् ।।
विद्यां चैव स्वयं तस्मै शुक्रस्तुष्टो ददाति च ॥
॥ श्री स्कन्दपुराणे श्री शुक्र स्तोत्रम् ॥
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