समझ ना आए मुझे, मेरा गुरु से मिलन कैसे हो
समझ ना आए मुझे, मेरा गुरु से मिलन कैसे हो
1 ) हृदय खेल में कभी ना मैंने
बीज सात्विक बोए
पोट पाप की धरी शीश पे
भारी बोझ रही ढोए
2 ) एक एक स्वास कीमती को में
रही रात दिन खोए
गहरी नींद चढ़ी गलफत की
रही सुरत पड़ सोए
3 ) काम क्रोध ने मिलकर मेरी
पूँजी ली दबकोए
लोभ मोह करते रखवाली
मुझको रहे भलोए
4 ) भूलन त्यागी कहे ना घबरा
आँसू पौछ क्यों रोए
भाव से भजन हरि का करले
मिल जाएँ सतगुरु तोए
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