है प्रीत जहाँ की रीत सदा
स्थाई :-
है प्रौत जहां की रीत सदा, मैं गीत वहां के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ, भारत की बात सुनाता हूँ
अन्तरा :-
1 ) काले गोरे का भेद नहीं, हर दिल से हमारा नाता है कुछ और न आता हो हमको, हमें प्यार निभाना आता है
जिसे मान चुकी सारी दुनियां 2, मैं बात-2, वही दोहराता हूँ
2 ) जीते हों किसी ने देश तो क्या, हमने तो दिलों को जीता है
जहां राम अभी तक है नर में, नारी में अभी तक सीता है
इतने पावन हैं लोग जहां-2, मैं नित-नित-2, शीश झुकाता हूँ
3 ) इतनी ममता नदियों को भी, जहां माता कहके बुलाते हैं
इतना आदर इंसान तो क्या, पत्थर भी पूजे जाते हैं इस धरती पे मैंने जन्म लिया-2, ये सोच-2, के मैं इतराता हूँ